परसेंटाइल के इस फॉर्मूले से पिछड़े हमारे छात्र
ऐसे समझें क्या है समस्या ?
मूल्यांकन :
राजस्थान बोर्ड से दो फीसदी से भी कम छात्र सफल, वहीं सीबीएसई, आंध्र और पंजाब से सलेक्ट हुए ८० फीसदी स्टूडेंट, कमेटी जांचेगी कि क्या रही विसंगतियां
इसके अलावा...
सीबीएसई छात्रों को केंद्रीय मूल्यांकन (यानी विषय की उत्तर पुस्तिकाएं एक जगह पर एकत्र कर वहीं शिक्षक बुलाकर जांच कराना) का फायदा मिलता है। राजस्थान बोर्ड में नहीं होता है। बोर्ड के पास 12वीं में सीबीएसई की तुलना में आठ गुना अधिक बच्चे है। ऐसे में अलग-अलग शिक्षक के पास उत्तर पुस्तिका जाती है तो फर्क आता है।
- सीबीएसई के छात्रों के पास बेहतर संसाधन है और शिक्षक छात्रों की परफॉरमेंस सुधारने पर अधिक ध्यान दे रहे है।
सीबीएसई छात्रों को केंद्रीय मूल्यांकन (यानी विषय की उत्तर पुस्तिकाएं एक जगह पर एकत्र कर वहीं शिक्षक बुलाकर जांच कराना) का फायदा मिलता है। राजस्थान बोर्ड में नहीं होता है। बोर्ड के पास 12वीं में सीबीएसई की तुलना में आठ गुना अधिक बच्चे है। ऐसे में अलग-अलग शिक्षक के पास उत्तर पुस्तिका जाती है तो फर्क आता है।
- सीबीएसई के छात्रों के पास बेहतर संसाधन है और शिक्षक छात्रों की परफॉरमेंस सुधारने पर अधिक ध्यान दे रहे है।
माक्र्स ज्यादा फिर भी परसेंटाइल कैसे कम हो गई
राजस्थान बोर्ड की 12वीं में चूरू के दो छात्रों के प्राप्तांकों में मात्र 2 नंबर का अंतर होने के बावजूद रैंक में 40 हजार का अंतर आ गया।
महेश कुमार को 12वीं में 434 अंक और रमेश कसवा को 436 अंक मिले, लेकिन नॉर्मलाइज स्कोर में उनका परसेंटाइल क्रमश: 99.68 और 97.0 रहा। कम नंबर वाले छात्र को ज्यादा परसेंटाइल स्कोर मिलने से उसे 40 हजार रैंक मिली, जबकि बोर्ड में 2 नंबर ज्यादा लाने वाला रमेश 80 हजार रैंक पर पिछड़ गया। जाहिर है, कहीं न कहीं फॉर्मूले की कंप्यूटर गणना में त्रुटि हुई है।
एनआईटी में दाखिला पाने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विद्यार्थियों की संख्या दो प्रतिशत से भी कम रही, जबकि ८० फीसदी विद्यार्थी तीन बोर्डों सीबीएसई, आंध्र और पंजाब से हैं।
ऐसे में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 12वीं पास विद्यार्थियों के एडमिशन में पिछडऩे के कारणों की पड़ताल कराएगा। बोर्ड ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कमेटी इस बात का अध्ययन करेगी कि बोर्ड की परीक्षा की मूल्यांकन प्रक्रिया में कौन सी ऐसी विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर करके विद्यार्थियों को सीबीएसई सहित अन्य बोर्डों के विद्यार्थियों के अंक प्रतिशत के बराबर लाया जा सके। कमेटी के सुझावों पर बोर्ड विचार करके फैसला करेगा। राजस्थान बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. पीएस वर्मा का कहना है कि कमेटी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करेगी, केवल ये सुझाव देगी कि हमारी मूल्यांकन प्रक्रिया को बेहतर कैसे बनाया जाए। क्या कारण हैं कि हमारे विद्यार्थी पिछड़ रहे हैं, जबकि जो कोर्स सीबीएसई में है, वही राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थी भी पढ़ रहे हैं।
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